Very Sad Hindi Shayari
क्या तुझे अब ये दिल बताये
मुझको तुझ पे कितना प्यार आये
आंसुओ से लिख दू तुझ को
कोई मेरे बिन पढ़ ही ना पाये
मुझको तुझ पे कितना प्यार आये
आंसुओ से लिख दू तुझ को
कोई मेरे बिन पढ़ ही ना पाये
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बस सुलझी हुई आखो में, उलझी रही अपनी मुहोबत्तें.~~
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*दिल में है जो दर्द वो दर्द किसे बताएं!*
*हंसते हुए ये ज़ख्म किसे दिखाएँ!*
*कहती है ये दुनिया हमे खुश नसीब!*
*मगर इस नसीब की दास्ताँ किसे बताएं!*
*हंसते हुए ये ज़ख्म किसे दिखाएँ!*
*कहती है ये दुनिया हमे खुश नसीब!*
*मगर इस नसीब की दास्ताँ किसे बताएं!*
ये कैसी मोहब्बत हैं ,अब तक ना समझ पाये …
गैरो को मना लेना , अपनो को खफा रखना ..!
#मुद्दत से तमन्ना हुई अफसाना न मिला ……
हम खोजते रहे #मगर ठिकाना न मिला …………..
लो आज फिर चली गई #जिंदगी नजरो के सामने से ……
और उसे कोई रुकने का #बहाना न मिला ……………………….
हम खोजते रहे #मगर ठिकाना न मिला …………..
लो आज फिर चली गई #जिंदगी नजरो के सामने से ……
और उसे कोई रुकने का #बहाना न मिला ……………………….
तेरी पलकों पर बनाया है हमने आशियाना ,
कि तेरे दिल में अब हमको रहना है ।
कि तेरे दिल में अब हमको रहना है ।
जब कोई ख्याल दिल से टकराता है,
दिल ना चाह कर भी खामोश रह जाता है,
कोई सब कुछ कह कर प्यार जताता है,
तो कोई कुछ ना कह कर प्यार निभाता है।
दिल ना चाह कर भी खामोश रह जाता है,
कोई सब कुछ कह कर प्यार जताता है,
तो कोई कुछ ना कह कर प्यार निभाता है।
एक सुकून की तलाश मे जाने कितनी बेचैनियां पाल ली,
और लोग कहते है हम बडे हो गए हमने जिंदगी संभाल ली.
और लोग कहते है हम बडे हो गए हमने जिंदगी संभाल ली.
खामोशियों से नहीं खो जाने से डर लगता है,
रखता हूँ एक मुठ्ठी भर तमन्ना,
क्यूंकि तन्हां हो जाने से डर लगता है,
रखता हूँ एक मुठ्ठी भर तमन्ना,
क्यूंकि तन्हां हो जाने से डर लगता है,
आप हमको ऐसे मत देखिये ,
कहीं हमको मौहब्बत ना हो जाये ,
आप तो मुस्कुरा कर चले जाओगे ,
इस दिल की मुसीबत हो जाये !!
कहीं हमको मौहब्बत ना हो जाये ,
आप तो मुस्कुरा कर चले जाओगे ,
इस दिल की मुसीबत हो जाये !!
अदालत ईश्क की होगी।
मुकदमा मोहब्त पे चलेगा।..
गवाही मेरा दिल देगा ..
ओर मुजरीम तेरा प्यार होगा।
मुकदमा मोहब्त पे चलेगा।..
गवाही मेरा दिल देगा ..
ओर मुजरीम तेरा प्यार होगा।
सर ज़मीं से लगा तो असर आगया
आसमां दूर झुकता नज़र आगया
आसमां दूर झुकता नज़र आगया
मैंने सजदा न करनेकी खायी क़सम
क्या करूं सामने तेरा दर आगया
क्या करूं सामने तेरा दर आगया
याद आती है तू, मैंने मां को लिखा
छोड़कर गांव, जबसे शहर आगया
छोड़कर गांव, जबसे शहर आगया
मैं ठहर ही गया भूलकर मंजिलें
तुम मिले पांवमें फिर सफर आगया
तुम मिले पांवमें फिर सफर आगया
सच कहा और सच के सिवा कुछ नहीं
झूठ की भीड़ -भर में कहर आगया
झूठ की भीड़ -भर में कहर आगया
लाज़मी है कि ‘सुकरात’बन जाऊंगा
मेरे हिस्से का देखो ज़हर आगया
मेरे हिस्से का देखो ज़हर आगया
वक़्त की शाख़से एक लमहा गिरा
ऐ, ‘स्वरूप’आख़िरी वो पहर आगया
ऐ, ‘स्वरूप’आख़िरी वो पहर आगया
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